पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, ममता सरकार को झटका

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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए 25,753 शिक्षक??

 West Bengal Teacher Recruitment Scam: सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। यह फैसला ममता सरकार के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है और शिक्षा विभाग में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करता है।

⚖ सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अवैध और दूषित नियुक्तियां रद्द

मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने स्पष्ट किया कि ये नियुक्तियां धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से दूषित हैं। कोर्ट ने:

✅ भर्ती प्रक्रिया को अवैध घोषित किया
✅ सभी नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया
✅ अब तक दिए गए वेतन की वापसी से राहत दी

? राज्य सरकार की याचिका खारिज, हाईकोर्ट का आदेश बरकरार

पश्चिम बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि धोखाधड़ी साबित हो चुकी है, इसलिए हाईकोर्ट का फैसला सही है।

? सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें:

? 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियां अमान्य
? नियुक्ति प्रक्रिया में व्यापक भ्रष्टाचार उजागर
? केवल दिव्यांग कर्मचारियों को नौकरी में बने रहने की छूट
? अन्य सभी कर्मचारियों की सेवाएं तुरंत समाप्त करने का आदेश
? नई चयन प्रक्रिया तीन महीने में पूरी करने का निर्देश
? सीबीआई जांच जारी रहेगी, अगली सुनवाई 4 अप्रैल को

? भर्ती प्रक्रिया की साख पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पूरी तरह खत्म हो चुकी है। जालसाजी और धांधली के कारण योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन हुआ है।

? नई चयन प्रक्रिया तीन महीने में पूरी होगी

? योग्य उम्मीदवारों को विशेष छूट मिलेगी
? पुरानी नौकरी की अवधि का लाभ नहीं दिया जाएगा

♿ दिव्यांग उम्मीदवारों को राहत

कोर्ट ने दिव्यांग कर्मचारियों को मानवीय आधार पर नौकरी जारी रखने की अनुमति दी है ताकि समाज के कमजोर वर्ग को परेशानी न हो।

?‍♂ सीबीआई जांच जारी रहेगी

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निष्पक्ष जांच जारी रखने का निर्देश दिया है, जिससे दोषियों को सजा मिले और भविष्य में ऐसी धांधली रोकी जा सके।

? यह फैसला ममता सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है और पश्चिम बंगाल की भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

 

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