भारत में बढ़ती हीटवेव की चेतावनी: क्या जलवायु परिवर्तन इसकी असली वजह है?

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 जैसे ही अप्रैल 2025 की शुरुआत हुई, भारत के कई हिस्सों में तापमान तेजी से बढ़ता दिखाई दिया। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि इस साल अप्रैल से जून के बीच सामान्य से अधिक गर्मी और हीटवेव का खतरा है। विशेषज्ञ इस स्थिति को सिर्फ मौसमी बदलाव नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन का सीधा असर मान रहे हैं।

उत्तर भारत में हीटवेव की तीव्र शुरुआत

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में तापमान 38-40°C तक पहुंच चुका है। IMD का अनुमान है कि मई-जून में 10 से 12 दिनों तक हीटवेव चल सकती है, और तापमान 44°C से ऊपर जा सकता है।

लोग पहले ही छाते, पानी की बोतल और सनस्क्रीन के साथ घर से बाहर निकल रहे हैं। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।

दक्षिण भारत में थोड़ी राहत, पर जोखिम बना हुआ है

कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में तापमान 35-38°C के बीच है, जबकि केरल और दक्षिणी कर्नाटक में हालिया बारिश ने कुछ राहत दी है। हालांकि, ओलावृष्टि और तेज हवाओं की चेतावनी के चलते परिस्थितियाँ कभी भी बदल सकती हैं।

आने वाले महीनों में बढ़ सकता है खतरा

IMD का कहना है कि इस साल तापमान 45 से 48°C तक जा सकता है। लगातार बढ़ती गर्मी से डीहाइड्रेशन, लू, चक्कर और सिरदर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याएं सामने आ सकती हैं।

 स्कूल,  दफ्तर और  रोजमर्रा के कार्यों में भी गंभीर बाधाएँ आ सकती हैं। समय रहते सुरक्षा उपाय अपनाना बेहद ज़रूरी हो गया है।

क्या जलवायु परिवर्तन है असली वजह?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ मौसमी चक्र नहीं, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग का असर है।

? जंगलों की कटाई
? तेज़ी से होता शहरीकरण
? ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन

यह सभी कारक मिलकर पृथ्वी के तापमान को असामान्य रूप से बढ़ा रहे हैं। खासकर भारत जैसे देशों में इसका असर ज़्यादा गंभीर है।

 गर्मी पहले क्यों आ रही है इस बार?

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, एल नीनो प्रभाव, समुद्री सतह के तापमान में वृद्धि और शहरीकरण के कारण गर्म हवाएँ पहले ही सक्रिय हो गई हैं।

 कंक्रीट संरचनाएं और पेड़-पौधों की कमी स्थानीय स्तर पर गर्मी को और तेज़ कर रही हैं, जिससे अप्रैल में ही जून जैसी गर्मी महसूस हो रही है।

 

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