अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फार्मा उद्योग को करारा झटका दिया है। उन्होंने ऐलान किया है कि अमेरिका जल्द ही दवा कंपनियों पर भारी टैरिफ लगाएगा। यह फैसला फार्मा सेक्टर पर अप्रत्याशित दबाव बना सकता है, जिससे वैश्विक बाजार, खासकर भारतीय कंपनियों पर असर पड़ने की पूरी संभावना है।
अमेरिका का टैरिफ प्लान और भारत पर असर
फिलहाल, भारत ने अमेरिकी दवाओं पर 10% टैरिफ लगाया है, जबकि अमेरिका भारतीय दवाओं पर कोई शुल्क नहीं लगाता। ऐसे में ट्रंप के नए फैसले से भारतीय फार्मा कंपनियों को 10% तक अतिरिक्त लागत झेलनी पड़ सकती है।
किन कंपनियों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
विशेषज्ञों के मुताबिक, जेनेरिक और सीडीएमओ आधारित भारतीय कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी। इनका EBITDA (कमाई से पहले का लाभ) 9-12% तक घट सकता है।
संभावित असर (EBITDA में गिरावट):
कंपनी | अमेरिकी रेवेन्यू योगदान | EBITDA पर संभावित असर |
ग्लैंड फार्मा | 50% | 8-10% तक गिरावट |
अरबिंदो फार्मा | 48% | 12-13% तक गिरावट |
डॉ. रेड्डी | 47% | 10-12% तक गिरावट |
ज़ाइडस | 46% | 8-10% तक गिरावट |
ल्यूपिन | 37% | 6-7% तक गिरावट |
सिप्ला | 29% | 4-5% तक गिरावट |
सन फार्मा | 32% | 2-3% तक गिरावट |
टोरेंट फार्मा | 9% | 1-2% तक गिरावट |
अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग वाली कंपनियों को राहत?
जेफरीज के अनुसार, जिन भारतीय कंपनियों की अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं – जैसे सिप्ला, सिंजेन, डॉ. रेड्डीज, ल्यूपिन, पीरामल फार्मा और साई लाइफ साइंसेज – उन्हें इस टैरिफ पॉलिसी से कुछ हद तक राहत मिल सकती है।